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लव राशिफल से जानें अपने प्रेम और विवाह से जुड़ी ख़ास भविष्यवाणी

इस सप्ताह ग्रहों की आकाशीय स्थिति प्रेम प्रसंग के लिए बहुत उत्तम नहीं हैl मंगल तो मीन राशि में वक्री चल ही रहे हैंl मंगल हमें अपने कार्यों को सम्पादित करने के लिए साहस और उर्जा देते हैंl वक्री होने से इनके स्वाभाविक लाभ से जातक वंचित रहेंगेl लव और रोमांस के क्षेत्र में शुक्र बहुत ही महत्त्वपूर्ण ग्रह माना जाता है और इसके नीच का होकर गमन करने से स्थितियां चुनौतीपूर्ण बन जाएँगीl अच्छे परिणाम की उम्मीद करना व्यर्थ हैl ज्योतिष शास्त्र में भोग-विलास, भौतिक आनंद, वैवाहिक जीवन, कला, प्रतिभा,कम-वासना, रोमांस आदि का प्रतिनिधित्व शुक्र गृह करते हैंl हमारा प्रेम-प्यार और सुख काफी प्रभावित हो जायेगा, जिसमे आपसी तकरार, परस्पर विश्वास का आभाव, आकर्षण में कमी, बेवफाई, संबंधों में शिथिलता आदि प्रमुख हैं l विवाद बढ़ने पर ब्रेकअप भी हो सकता हैl सूर्य, सौरमण्डल रूपी प्रशासन के राजा हैं और सूर्य को अपने गुणों जैसे महत्वाकांक्षा, अधिकार, सात्विकता, नेतृत्व, यश, निर्णय क्षमता इत्यादि  को वायु तत्व राशि तुला सकारात्मक उपयोग से रोक देती हैl व्यक्ति सही दिशा में आगे नहीं बढ़ पाता हैl हालाँकि बुध भी वक्री हैं लेकिन मंगलवार रात्रि 11:19 बजे मार्गी हो जायेंगेl देखते हैं, सभी बारह राशियों के लिए इस सप्ताह का लव

मेष 

राशिस्वामी मंगल वक्री होकर बारहवें भाव से गोचर कर रहे हैंl पंचमेश सूर्य नीच का होकर सातवें भाव से गोचर कर रहे हैं, वक्री बुध भी साथ हैंl शुक्र भी नीच का होकर छठे भाव से गोचर कर रहे हैंl प्रेम संबंधों के लिए बहुत अनुकूल परिस्थितियां नहीं मिलेंगीl प्रेम में तकरार, अविश्वास से जटिलता बढ़ेगीl किसी तीसरे के चरित्र चित्रण या कार्यशैली को लेकर अपने प्रियपात्र से बहस ना करेंl इसका कोई औचित्य नहीं हैl लेकिन जब आप कुछ कहते हैं तो किसी नुकसान या अपमान से प्रभावित ना हों क्योंकि आपको पता है कि आप सही कह रहे हैंl याद रखिये जब भावनात्मक स्तर पर बंधन मजबूत होगा तभी शारीरिक स्तर पर कुछ किया जा सालता हैl इसलिए पूरी ईमानदारी से प्यार और रोमांस को महत्त्व दें, ताकि आपका पार्टनर आपको सार्थक सहयोग कर सकेl इस सप्ताह सामाजिक सरोकारों से थोड़ा दूर ही रहें, क्योंकि आपकी बातों  को महत्व नहीं भी दिया जा सकता हैl अविवाहितों के लिए भी डगर मुश्किल भरा है फिर भी झूठी शान ना बघारेंl

वृषभ 

आपके राशि स्वामी शुक्र नीच का होकर पांचवें भाव से गमन कर रहे हैंl  राहू आपकी राशि से गोचर कर रहे हैंl सोमवार को चंद्रमा भी आपकी राशी में उच्च का होकर विराजमान हैंl आपका पंचमेश बुध वक्री होकर छठे भाव में नीच के सूर्य के साथ हैंl अति आत्मविश्वास आपकी मुश्किलें बढ़ाएगा ये सप्ताहl आपदोनों के बीच रोमांस और रस का आभाव रहेगाl यदि आपका सम्बन्ध अपने किसी विपरीतलिंगी मित्र से मधुर नहीं तो उसके बारे में कोई चर्चा-परिचर्चा किसी से ना करेंl सम्बन्ध तनावपूर्ण बनाने के लिए आप जिम्मेदार हो सकते हैंl ईमानदारी से सहज मित्र धर्म को निभाएं और बाकी काम ग्रहों पर छोड़ देंl कार्यस्थल पर व्यस्तता को बहाने बनाने का मुद्दा ना बनायेंl सप्ताह के आरंभिक दो दिन आपके लिए सहज रहेंगे और प्रिय पात्र के साथ ठीक-ठाक गुजरेंगेl जब तक शुक्र नीच में है, प्रेम-प्यार के सम्बन्ध में कोई बड़ा फैसला लेने से बचेंl पेशेवर संबंधों का निर्वहन ठीक से कर पायेगेl अपने प्रेम डगर के साथी  से किसी भी सुलह या समझौते कराने के लिए जान-पहचान के मित्रों का सहारा ना लेंl

मिथुन 

आपका राशि स्वामी बुध वक्री होकर पांचवें भाव से नीच के सूर्य के साथ गोचर कर रहे है और पंचमेश शुक्र आपके चतुर्थ भाव में नीचस्थ हैंl सोमवार को चन्द्रमा आपके बारहवें भाव में हैl सप्ताह के शुरुआत में ही प्रेम संबंधों में बहुत ही अप्रिय स्थितियां बन सकती हैंl नजरिया बदलिए और नज़ारे बदलने की उम्मीद कीजियेl यदि किसी भी कारण से आपके दिल को ठेस पहुंची है तो उसे चुपचाप सहन करना सीखिए क्योंकि इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा और आपको कोई महत्त्व नहीं मिलेगा, जिसके आप हक़दार भी हो सकते हैंl अपने सामाजिक रिश्तों और दोस्ती यारी को  बखूबी निभाने का यत्न करें l हम एक सामाजिक प्राणी हैं संगठित जीवनशैली तथा समरसता हमारे जीने का आधार है, इसे स्मरण रखेंl अतीत की बातों को गंभीरता से ना लेना भी आपके लिए मुसीबत के नए द्वार खोल सकता हैl अपने प्रियपात्र के साथ यदि आपने छल किया होगा तो वो अभी उजागर हो जायेगाl गलती स्वीकार करते हुए नए सिरे से अंतरंग सम्बन्ध स्थापित करने का प्रयास करेंl

कर्क

आपका राशिस्वामी चंद्रमा इस सप्ताह आपके ग्यारहवें भाव से उच्च का होकर गोचर करते हुए सप्ताहांत तक आपकी राशि में आ जायेंगे l पंचम भाव में केतु उपस्थित हैं और पंचमेश मंगल वक्री होकर आपके नवम स्थान से गोचर कर रहे हैंl किसी बाहरी हस्तक्षेप से आपका प्रेम सम्बन्ध कटु हो रहा है l सुनी-सुनाई बातों पर आप भी सहज विश्वास कर रहे हैं और आपका प्रेमसाथी भीl वादा करके मुकरना आपकी नई आदतों में शुमार हो गया है, इससे तत्काल बचेंl हालाँकि ये प्रेमप्रसंग के मामले में मिश्रित सप्ताह ही रहेगाl यदि आप अकेले हैं तो अपनी योग्यता और आत्मविश्वास से किसी नए खूबसूरत व्यक्ति के साथ रिश्ते बनाने की पहल कर सकते हैंl इसका तत्काल लाभ आपको मिलेगाl अभी तो रिश्ते को गहरा बनाइये, सोच-विचार बाद में कर लीजियेगाl नए दोस्त भी बनाने के लिए प्रयास कीजिये, बाद में लाभ होगाl निराशा से बचें, सकारात्मक सोचें और खुद को स्वयं ही उत्साहित करेंl किसी अच्छे रेस्टोरेंट, मॉल या पार्क में जाएँ और आनंद लेने का प्रयास करेंl जो अकेले हैं, वे प्यार में अवसर का लाभ उठा सकते हैंl

सिंह 

शुक्र नीच का होकर दुसरे भाव से गोचर कर रहे हैंl आपका राशिस्वामी सूर्य नीच का होकर तीसरे भाव में वक्री बुध के साथ उपस्थित हैl पंचमेश गुरु पंचम भाव में हैंl आप अपने रोमांटिक रिश्ते को लेकर गंभीर तो हैं लेकिन एकतरफा सोचते हैं l सच पूछिए तो, इससे पहले कि ब्रेकअप की स्थिति बने, इसपर सोच-विचार कीजिये और ग़लतफ़हमी दूर कीजियेl आप अपने साथी को जितना प्यार करेंगे रिश्ते उतने गहरे होते जायेंगेl यदि कार्यवश समयाभाव हो तो संवाद-संचार हमेशा बनाये रखिये क्योंकि आपके कर्मक्षेत्र में थोड़ी अस्थिरता रह सकती हैl आप पर झूठे आरोप भी लग सकते हैं और कुछ सहकर्मी साजिश भी कर सकते हैंl उच्चाधिकारियों की नाराजगी भी झेलनी पड़ सकती हैl  शादीशुदा लोगों का समय शांतिपूर्ण बीतेगाl यदि बच्चे बड़े हैं तो उनकी उपलब्धियों से घर में प्रसन्नता का वातावरण बन सकता हैl रोमांटिक ही नहीं बल्कि सभी रिश्तों को भावनात्मक रूप से डील करें, लाभ-हानि के आधार पर नहींl आपका प्रभावशाली व्यक्तित्व आपको सभी रिश्तों में चर्चा में तो रखेगा लेकिन इनलोगों का दिल आप अपने व्यवहार से ही जीत सकते हैं, चाहे वे करीबी पारिवारिक रिश्ते ही क्यों ना होंl

कन्या 

नीच का शुक्र आपकी राशि से गोचर कर रहे हैंl राशिस्वामी बुध वक्री होकर दुसरे भाव में नीच के सूर्य के साथ  हैंl पंचमेश शनि पंचम भाव में ही मौजूद हैंl अपने संयम और चतुराई से आप संबंधों में सुधार की सम्भावना तलाश सकते हैंl भावना में बहकर कोई आश्वासन यदि आप किसी को देते हैं तो सावधान रहिये उसे आपको ही पूरा करना होगाl वैसे इस सप्ताह आपको अपने प्रेमी और अभिन्न मित्रों के साथ मूल्यवान समय बिताने का अवसर मिलेगाl अपने मित्रों को सुनें और उनकी सलाह पर अमल भी करेंl इससे आपको लाभ हो सकता हैl वाणी पर संयम अतिआवश्यक हैl आपकी बातों को गलत अर्थ में लिया जा सकता हैl अपने प्रेमी/प्रेमिका को लेकर धन खर्च करने के मामले में सतर्कता अवश्य बरतें क्योंकि कुछ घरेलू खर्चे भी आपको करने पड़ सकते हैंl आप अपनी उदासी और चिंता के कारणों को अपने प्रियपात्र से सीधे-सीधे कह सकते हैंl समाधान नहीं भी होगा तो भी आपका मन हल्का हो जायेगा और सकारात्मक सोच विक्सित होगीl वैवाहिक जीवन में भी उतार-चढाव रहेगाl

तुला  

वक्री बुध तथा नीच का सूर्य आपकी राशि में विराजमान हैंl आपका राशिस्वामी शुक्र नीच का होकर आपके द्वादश भाव से गोचर कर रहे हैंl पंचमेश शनि चतुर्थ भाव से गोचर कर रहे हैं और आपकी राशि को दशम दृष्टि से देख रहे हैंl इस सप्ताह आपको अपने प्रेम संबंध में स्थितियों को बढ़िया से मूल्याङ्कन करके ही किसी फैसले पर पहुंचना चाहिए तभी बात बनेगी और संतोष का अनुभव कर सकेंगे। इस सप्ताह इस मामले में विपरीत हवा चल रही है एवं परेशानी उत्पन्न हो सकती है। अच्छा रहेगा सतर्कता बरतें।व्यर्थ की चिंता-फ़िक्र करने के बजाय उन क्रिया-कलापों पर ध्यान दें जो आपके जीवन को एक मकसद की  भावना प्रदान करें। कला एवं आध्यात्मिक कार्य इस हफ्ते आपको संतुष्ट रखेंगे और आपके लिए प्रेरणा का स्रोत होंगे। अपने प्रियपात्र से अपने विचारों और चिंताओं को बांटने से पीछे न हटें, क्योंकि आपके प्रेमी/प्रेमिका से समर्थन मिलने से आपका हौसला बढेगा। साथ ही, अपने पारिवारिक जिम्मेदारियों और चिंताओं को नजरअंदाज ना करेंl जो लोग अकेले हैं, उन्हें पुरुषार्थ से प्रेम-प्यार की प्राप्ति होगी लेकिन पहली मुलाकात में उत्साह को नियंत्रण में रखना होगाl

वृश्चिक 

नीच का शुक्र आपके एकादश भाव से गोचर कर रहे हैंl आपके राशि स्वामी मंगल वक्री होकर पांचवें स्थान से गोचर कर रहे हैंl केतु आपकी राशि में तथा पंचमेश गुरु आपके द्वितीय भाव में मौजूद हैंl इस सप्ताह कई कामों को एकसाथ लेकर आपको चलना होगाl इससे पहले कि कार्यों का दबाव आपके विचारों और रुचियों को अस्थिर करे, आवश्यक कार्यों को जल्दी से जल्दी  पूरा कर लें क्योंकि केतु के कारण बहुत से कार्य अधूरे रह जायेंगे। यह समय स्थिर और संकल्पित रहने और आपके पास क्या है व आप क्या चाहते हैं, इसमें विश्वास करने का है। अपने और अपने प्रेमी/प्रेमिका  के लिए समय निकालें व अपने आने वाले समय के बारे में सोचें। शीघ्रता में लिए गए निर्णय का परिणाम खतरनाक हो सकता है। उन सभी व्यक्तियों पर ध्यान दें जो आपको भावनात्मक रूप से समर्थन देते हैं और आपके परिवार या आपके प्रियपात्र के परिवार की प्रसन्नता को बढ़ाने में सहायता करते हैं। आपके जीवन के आलोचक जो आपका अच्छा नहीं चाहते हैं, उन्हें नज़रअंदाज़ करना उत्तम रहेगा।

धनु 

राशिस्वामी गुरु महाराज आपकी राशि में  विराजमान हैंl नीच का शुक्र दशम भाव से गोचर कर रहे हैं। पंचमेश मंगल वक्री होकर आपके चौथे भाव से ही गोचर कर रहे हैंl इस समय रोमांटिक रिश्तों और उससे सम्बन्धित विषयों को आप महत्व नहीं दे पा रहे हैं हालाँकि इसका अहसास आपको खूब है लेकिन अभी तो दिल ही दिल में बातें दबती जा रही हैंl हालाँकि कार्य-व्यस्तता के बीच भी आप रोमांस के लिए समय निकाल लेंगे और इस सम्बन्धी सकारात्मक गतिविधियों की सम्भावना हैl स्वयं को और दूसरों के प्रति अपने आचरण को समझ कर आप अपने किसी खास के दिल में जगह बनाने की कला में माहिर हैं। आप अपने रिश्तों को लेकर अधिक भावुक हैं। यह समय मिलने-जुलने और अपने विचारों को शेयर करने का है। आप अपने प्रियतम की प्रतीक्षा करने के बजाय उसके पास जाना पसंद करेंगे। किसी भी स्थिति में अपने प्रेमी/प्रेमिका पर हावी होने का प्रयास ना करें, अधिक पजेसिव होने पर आपकी ही पीड़ा बढ़ेगी और तकरार भी होगाl इस सप्ताह अपने जानकर मित्रों के ग्रुप से बाहर निकलें और नए व दिलचस्प व्यक्तियों से बातचीत करें, आनंद आएगा।

मकर 

आपके राशि स्वामी शनि महाराज आपकी राशि से ही गोचर कर रहे हैंl  पंचमेश शुक्र नीच का होकर आपके नवमें स्थान से गोचर में हैंl राहू आपके पांचवें भाव में विराजमान हैं।यह सप्ताह रोमांस से भरी गतिविधियों के लिए उत्तम नहीं है।अभी आपको समय निकाल कर अपने व्यक्तिगत मामलों और विशिष्ट समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए जिन पर ध्यान देना बहुत आवश्यक है। अपने समय का विवेकपूर्ण उपयोग करें और अतीत की उन परिस्थितियों के बारे में न सोचें, जो आपको परेशानी में डाल देती हैं। अपने सकारात्मक पक्ष और अपनी सीमाओं से अवगत रहें और अपने आप को श्रेष्ठ बनाने के लिए इन अवसरों का उपयोग करें। हालाँकि प्रेम-प्रसंग के लिए आपकी संवेदनशीलता बनी रहेगीl अपने घर-परिवार से मिला समर्थन आपको नए कार्य करने के लिए प्रेरित कर सकता है और सफलता प्राप्ति के लिए रचनात्मक विचार प्रदान कर सकता है। यदि वर्तमान रिश्ता समाप्त होगा तो दुसरे की शुरुआत शीघ्र हो सकती हैl किसी परिचित से भी आपका रोमांस शुरू हो सकता है, जिन्हें अबतक आपने इस नजर से देखा नहीं थाl

कुम्भ 

पंचमेश बुध वक्री होकर नीच के सूर्य के साथ आपके भाग्यभाव में चल रहे हैंl आपके राशिस्वामी शनि आपके बारहवें भाव से गुजर रहे हैंl नीच का शुक्र अष्टम भाव से गोचर कर रहे हैंl प्रेम-प्रसंग में जिस सकारात्मक बदलाव की आप उम्मीद कर रहे हैं, उसमे अभी थोडा और समय लगेगा l दिल के मामले तो समस्याग्रस्त ही रहेंगे l कुछ पारिवारिक समस्याएं और कार्य-व्यस्तता के कारण रोमांटिक पहल अभी दरकिनार ही हो जायेगाl घर के लिए समर्पित रहें और वो सब करें जो आप कर सकते हैं, क्योंकि वाही आपकी असली पहचान है। अपने प्रियजनों को अपना समय और अपनी योग्यता प्रदान करें और अंत में परिवार से वही मिलेगा जो आपने दिया है। लेकिन संवाद-संचार के विभिन्न माध्यमों के सहारे अपने प्रियतम से सदा संपर्क में रहने का प्रयास किया जा सकता हैl बार-बार अपने ही हितों की बात करते रहने संबंधों में स्वार्थ आ जाता है जो प्रेम के भावुक पक्ष को कमजोर करेगाl एक सम्बन्ध जारी रखकर किसी और अच्छे विकल्प की तलाश करना भी धोखा देना ही हैl अभी जो गोचर है, इसमें आपको निराशा ही हाथ लगने वाली हैl वर्तमान प्रियतम से ही दिल की बात करें और सामंजस्य बनाने का प्रयास करेंl

मीन 

मंगल वक्री होकर आपकी राशि से गोचर कर रहे हैंl आपके राशिस्वामी गुरु महाराज दशम भाव से गोचर कर रहे हैंl नीचस्थ शुक्र सातवें भाव से गोचर कर रहे हैं l पंचमेश चन्द्रमा सप्ताह के आरंभ में उच्चस्थ होकर आपके तीसरे भाव में हैं लेकिन सप्ताहांत तक ये आपके पंचम भाव में आ जायेंगेl सप्ताह की शुरुआत रोमांस से भरपूर रहेगा और आपसी प्रेम शानदार रहेगा l आपका रोमांटिक अंदाज और बौद्धिक स्तर आपके प्रेमजीवन में चार चाँद लगा रही हैl लेकिन बहसबाजी की भी सम्भावना बन रही है लेकिन वो किसी ज्ञान के विषय पर होगीl बहुत संभव है आसपास किसी मंदिर या अन्य पवित्र जगह की छोटी यात्रा भी बन सकती हैl करियर की व्यस्तता और उपलब्धि आपको रोमांस के लिए पर्याप्त समय नहीं देगीl किसी भी स्थिति में दूसरों के सामने कभी भी अनौपचारिक रूप से ना पेश आयें, यदि वो आपके कार्यक्षेत्र से जुड़ा व्यक्ति है l अपना मूड हमेशा सकारात्मक रखें और घर-परिवार के लोगों को यथायोग्य सलाह-मशविरा देते रहेंl अनावश्यक वार्तालाप से परहेज करें ताकि कोई आपको गलत ना समझ सकेl

सफलता और ऐश्वर्य के लिए ऐसे करें अग्नि तत्व को संतुलित

पंचमहाभूत भारतीय दर्शन में सभी पदार्थों के मूल माने गए हैं। आकाश , वायु, अग्नि, जल तथा पृथ्वी – ये पंचमहाभूत माने गए हैं जिनसे सृष्टि का प्रत्येक पदार्थ बना है। सांख्य शास्त्र में प्रकृति इन्ही पंचभूतों से बनी माना गया है। इनको ब्रह्मांड में व्याप्त लौकिक एवं अलौकिक वस्तुओं का प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष कारण और परिणति माना गया है। ब्रह्मांड में प्रकृति से उत्पन्न सभी वस्तुओं में पंचतत्व की अलग-अलग मात्रा मौजूद है। अपने उद्भव के बाद सभी वस्तुएँ नश्वरता को प्राप्त होकर इनमें ही विलीन हो जाती है। जिस ज्योतिषी को इन पांच तत्वों की गहरी जानकारी होती है वो जातक को केवल देखकर ही जान जाता है कि जातक किस ग्रह के दशा काल से गुजर रहा है। यहाँ हम अग्नि तत्व के विभिन्न आयामों को देखेंगे जो उष्ण होने के साथ ही सरल भाषा में कहें तो क्षुधा, निद्रा और प्यास को नियंत्रित करती हैl अग्नि तत्व
सूर्य तथा मंगल अग्नि प्रधान ग्रह होने से अग्नि तत्व के स्वामी ग्रह माने गए हैं। अग्नि का कारकत्व ‘रुप’ है। नेत्र अग्नि की ही अभिव्यक्ति हैl इसका अधिकार क्षेत्र जीवन शक्ति है। इस तत्व की धातु पित्त है। हम सभी जानते हैं कि सूर्य की अग्नि से ही धरती पर जीवन संभव है। यही एकमात्र उर्जा का श्रोत हैl समस्त पेड़-पौधे सौर उर्जा को ही प्रकाश संश्लेषण (फोटो सिंथेसिस) क्रिया के माध्यम से पोषक-उर्जा का निर्माण करते हैंl सभी फॉसिल इंधन जैसे पेट्रोल, डीजल आदि भी जीवजन्तु, जो सैकड़ों वर्ष पहले जमीन में दब गए थे, से ही बनते हैंl सूर्य के बिना मानव जीवन की तो कल्पना ही नहीं की जा सकती है। सूर्य सभी ग्रहों को ऊर्जा तथा प्रकाश देता है। इसी अग्नि के प्रभाव से पृथ्वी पर रहने वाले जीवों के जीवन के अनुकूल परिस्थितियाँ बनती हैं।शब्द तथा स्पर्श के साथ रुप को भी अग्नि का गुण माना जाता है। रुप का संबंध नेत्रों से माना गया है। ऊर्जा का मुख्य स्त्रोत अग्नि तत्व है।सभी प्रकार की ऊर्जा चाहे वह सौर ऊर्जा हो या आणविक ऊर्जा हो या ऊष्मा ऊर्जा हो सभी का आधार अग्नि ही है। हमारे शरीर के सात उर्जा चक्र इन पंच महाभूतों से जुड़े है और मणिपुर चक्र अग्नि तत्व से सम्बंधित हैl इनमे किसी भी प्रकार का असंतुलन होने से हमारे शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। अग्नि तत्व की कमी शरीर के विकास को अवरूद्ध कर रोगों से लड़ने की शक्ति को कम करती है।

अग्नि तत्व राशियां
ज्योतिष शास्त्र में बारह राशियां होती हैं और हर राशि का अपना अलग गुण धर्म होता है। हालांकि तत्व के अनुसार राशियों में कुछ समानताएं भी देखी जा सकती हैं। राशियों को अग्नि, पृथ्वी, वायु और जल तत्व में वर्गीकृत किया गया है। तीन राशियां एक तत्व से संबंधित होती हैं। अग्नि तत्व से जुड़ी राशियां मेष, सिंह और धनु ये तीन राशियां हैं जिनको अग्नि तत्व से संबंधित माना जाता है। इन तीनों राशियों के स्वामी ग्रह भले ही अलग-अलग हों लेकिन एक ही तत्व से संबंधित होने के कारण इनमें कुछ समानताएं देखी जाती हैं। जिस तरह सूर्य में हमेशा अग्नि प्रज्वलित रहती है उसी तरह अग्नि तत्व की राशियों में भी आग की तरह ज्वाला देखी जा सकती है। मेष, सिंह और धनु राशि के लोग हमेशा क्रियाशील रहते हैं और इनको शांत बैठे रहना पसंद नहीं आता। इन तीन राशियों के जातक दृढ़ इच्छा शक्ति वाले होते हैं और जो ठान लेते हैं उसे करके ही दम लेते हैं। हालांकि कई बार ये लोग जल्दबाजी में निर्णय लेकर मुसीबतों में भी पड़ जाते हैं लेकिन बावजूद इसके ये कभी निराश नहीं होते।

मेष राशि
अग्नि तत्व की पहली राशि मेष है और काल पुरुष की कुंडली में भी इसका स्थान पहला ही है। इस राशि का स्वामी ग्रह मंगल है। मेष सूर्य की उच्च राशि भी है। अग्नि तत्व का प्रभाव मेष राशि के लोगों को ऊर्जा और साहस देता है। इस राशि के लोगों का चंचल स्वभाव कई बार इनको बुरी स्थिति में डाल देता है लेकिन यदि यह लोग अपनी चंचलता पर काबू पा लें तो जीवन में कामयाबी अवश्य पाते हैं।

सिंह राशि
अग्नि तत्व की दूसरी राशि सिंह है। इस राशि का स्वामी ग्रह सूर्य है इसलिए स्वाभाविक है कि इनके व्यक्तित्व में भी तेज देखा जाता है। सूर्य ग्रहों का राजा है और अग्नि का स्रोत है इसलिए इस राशि के लोग भी राजा की तरह जिंदगी जीना पसंद करते हैं। इनमें नेतृत्व करने की क्षमता होती है इसलिए राजनीति के क्षेत्र में ऐसे लोग अच्छा प्रदर्शन करते हैं। इनकी सबसे बड़ी कमजोरी इनका अत्यधिक आत्मविश्वास है जिसके कारण कई बार इनके काम बिगड़ते हैं।

धनु राशि
अग्नि तत्व की तीसरी राशि धनु है। इस राशि का स्वामी ग्रह बृहस्पति देव हैं जिनको सभी ग्रहों का गुरु कहा जाता है। इन लोगों में ज्ञान और साहस की अधिकता देखी जाती है। इसलिए धनु राशि के लोग अध्यापन, सेना आदि क्षेत्रों में अच्छा नाम कमाते हैं। इस राशि के लोग शोध आदि कार्यों को भी अच्छी तरह से अंजाम दे पाते हैं।
अग्नि तत्व की राशि वालों को जीवन में संतुलन बनाने के लिए और जीवन को सफल बनाने के सूर्य देव की उपासना अवश्य करनी चाहिए। इसके साथ ही ज्योतिषीय सलाह लेना भी आपके लिए कारगर साबित हो सकता है।

रोग निर्णय
सूर्य- ये इन रोगों और क्लेशों का कारक है- पित्त, उष्ण ज्वर, शरीर में जलन रहना, अपस्मार (मिर्गी), हृदय रोग (हार्ट डिजीज), नेत्र रोग, नाभि से नीचे प्रदेश में या कोख में बीमारी, चर्मरोग, अस्थि रोग आदिl
मंगल- जब मंगल रोग और क्लेश उत्पन्न करता है तो तृष्णा (बहुत अधिक प्यास लगना) पित्त प्रकोप, पित्तज्वर, अग्नि, विष या शस्त्र से भय, कुष्ठ (कोढ़), नेत्र रोग, गुल्म (पेट में फोड़ा या एपिन्डिसाइटीज), मिर्गी , मज्जा रोग जैसी बीमारियाँ हो जाती हैं l

अग्नि के भेद
मानव के सुन्दर स्वास्थ्य और सक्रियता के लिए अग्नि का साम्यावस्था में होना आवश्यक हैl यह अग्नि पित्त के अंतर्गत समाहित होती है और पाचन, पोषण अदि कार्यों को सम्पादित करती हैl यदि यह अग्नि विकृत हो जाती है तो कई प्रकार की बिमारियों को जन्म देती हैl ये अग्नियाँ भी कई तरह की होती हैं:
1 जठराग्नि: इसका प्रमुख कार्य जठर(पेट) में उपस्थित पंचभौतिक आहार का पाचन होता है l
2 भूताग्नि: यह अग्नि जठराग्नि द्वारा पचे हुए आहार के पृथक-पृथक महाभूत को शरीर की कोशिकाओं तक ले जाती है l
3 धात्वाग्नि: इस अग्नि का मुख्य कार्य महाभूतों के पृथक-पृथक घटक से नए तत्वों का निर्माण कर धातु को पोषण देना हैl
इसके अतिरिक्त चिकित्सीय दृष्टि से भी अग्नि कई प्रकार की होती है:
4 विषमाग्नि: वात दोष के कारण आहार पाचन कभी जल्दी कभी विलम्ब से होता हैl
5 मन्दाग्नि: कफ दोष के कारण आहार का पाचन नहीं हो पता हैl
6 तीक्षनाग्नि: पित्त दोष के कारण आहार जल्दी पच जाता हैl
7 समाग्नि: तीनों दोषों की समावस्था में भोजन का सम्यक रूप से पाचन हो पाता है l

अग्नि का श्रेष्ठ स्वरुप
अतः उपर्युक्त अग्नियों में से समाग्नि की रक्षा करनी चाहिए जिससे वह जैसी है वैसी बनी रहनी चाहिएl विषमाग्नि के उपचार में स्निग्ध, अम्ल, लवण द्रव्य तथा क्रिया विशेषों का प्रयोग करें l तीक्ष्णाग्नि से पीड़ित व्यक्ति की चिकित्सा में मधुर, स्निग्ध, शीत द्रव्यों एवं विरेचकों का प्रयोग किया जाता है, विशेषकर इसमें भैंस का दूध, दही और घृत का अधिक प्रयोग होता हैl मन्दाग्नि में कटु, तिक्त, कषाय रसों एवं वामन द्रव्यों का उपचार के लिए प्रयोग किया जाता हैl

शरीर की कान्ति, बल, वर्ण आदि का मूल कारण शरीरगत अग्नि हैl ग्रहण किये गए अन्न का पाचन तथा शरीर की पुष्टि एवं जीवनीशक्ति के लिए आवश्यक सम्पूर्ण चयापचयात्मक क्रियाएं अग्नि के अधीन हैl अग्नि का मतलब मेटाबोलिज्म फायर से हैl जब अग्नि मंद पड़ जाती है तब शरीर में मेटाबोलिक क्रियाएं सुचारू रूप से नहीं हो पाती है जिससे शारीर में कुछ विष उत्पन्न होते हैं जिसे आम बोलचाल में ‘आम’ की संज्ञा दी जाती हैl आयुर्वेद में सभी रोगों का मूल इसी आम तत्व को माना जाता हैl

आहार-विहार की अनियमितताएं अग्नि को मंद कर देती है जिससे शरीर में आम इकठ्ठा होने लगता है और बिमारियों के रूप में प्रगट हो जाता हैl इसलिए ज्योतिषीय सलाह के अनुसार अपने आहार-विहार को उचित रूप से नियंत्रित कर बीमार होने से बचा जा सकता है l

ये तो बात थी हमारे शरीर की अग्नियों को यथास्थान और स्वाभाविक रूप से रखने के बारे में, जिससे हमारा शरीर रूपी मकान स्वस्थ और उर्जावान बना रह सकेl अब थोड़ी चर्चा मकान में अग्नि तत्व को यथास्थान कैसे रखें जिससे मकान में रहने वाले भी स्वस्थ और उत्साह से भरपूर बने रह सकेंl

घर में अग्नि का स्थान
आपके आवास में अग्नि तत्व का अनिवार्य स्थान रसोई घर ही होता हैl शरीर की जठराग्नि हमारे भोजन को पचाती है और रसोई की अग्नि आहार को पकाकर भक्ष्य बनाती हैl ऐसे महत्वपूर्ण तत्व का हमारे आवास में उचित स्थान में रहना आवश्यक हैl तय स्थान में अग्नि को स्थान देने का लाभ भी हम देखेंगे l

रसोई की दिशा
कुल दस दिशाएं होती हैं- पूर्व, उत्तर, पश्चिम, दक्षिण, आग्नेय, नैऋत, वायव्य, ईशान, उर्ध्व(ऊपर) और अधः(नीचे)l इनमें से आग्नेय दिशा, जो पूर्व और दक्षिण दिशा के मध्य कोण में होती है, अग्नि तत्व के लिए उत्तम होती हैl इसलिए इस दिशा को आग्नेय दिशा कहा जाता हैl रसोई घर का स्थान माकन के दक्षिण-पूर्वी कोने में होना चाहिएl

शास्त्रीय विकल्प
यदि किसी कारण से आग्नेय कोण में रसोई घर का निर्माण संभव ना हो तो विकल्प के तौर पर उत्तर-पश्चिम कोने में भी रसोई घर को स्थान दिया जा सकता हैl

वैज्ञानिक आधार
अग्नि तत्व को घर में स्थान स्थान देते समय वायु-तत्व का विशेष ध्यान रखना आवश्यक है की स्थान विशेष में वायु का प्रवाह कैसा हैl हमारे देश में वायु का प्रवाह फरवरी से सितम्बर तक यानि आठ माह तक दक्षिण-पश्चिम दिशा से उत्तर-पूर्व दिशा की तरफ होता हैl अक्टूवर से जनवरी तक चार महीने उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम की और हवा का रुख रहता हैl
साथ ही रसोई घर में वेंटिलेशन का भी विशेष ध्यान रखना चाहिएl यदि रसोईघर मकान के दक्षिण-पूर्व वाले भाग में हो तो दक्षिण और पूर्व दोनों दिशाओं की दीवार में वेंटिलेशन होना चाहिएl यदि रसोईघर उत्तर-पश्चिम वाले भाग में हो तो वेंटिलेशन उत्तर व पश्चिम दिशा वाली दीवारों पर होना चाहिए l इसका कारण यह है कि दक्षिण-पश्चिम से चलने वाली हवाएं, दक्षिण से प्रवेश कर पूर्व दिशा में निकल जाएँ और उत्तर-पूर्व से चलने वाली हवाएं, पूर्व से प्रवेश कर दक्षिण दिशा में निकल जाएँl उत्तर-पश्चिम स्थित रसोई घर में, दक्षिण-पश्चिम से चलने वाली हवा, पश्चिम दिशा से प्रवेश कर उत्तर दिशा की तरफ निकलती है और उत्तर-पूर्व से चलने वाली हवा उत्तर से प्रवेश कर, पश्चिम दिशा की तरफ निकल जाती हैl

रसोई की अग्नि
हम जानते हैं कि जब अग्नि प्रज्वलित रहती है तो कार्बन मोनो ऑक्साइड नामक गैस बनती है l इसी के साथ नाइट्रोजन डाय ऑक्साइड, सल्फर डाय ऑक्साइड गैस भी पैदा होती है l कुछ छोटे-छोटे कण भी निकलते हैं जो साँस द्वारा शरीर के अन्दर जा सकते हैंl

कार्बन मोनो-ऑक्साइड
यह एक रंगहीन व गंधहीन गैस है, जोकि कार्बन डाईऑक्साइड से भी ज्यादा खतरनाक होती है। हवा के साथ शरीर के अंदर पहुंचने पर यह गैस जहरीली साबित हो सकती है और गंभीर रूप से बीमार कर सकती है। देर तक इसके संपर्क में रहने से दम घुट सकता है और मौत तक हो सकती है।

दरअसल कार्बन मोनो-ऑक्साइड शरीर को ऑक्सिजन पहुंचाने वाले रेड ब्लड सेल्स पर असर डालती है। आमतौर पर जब कोई सांस लेता है तो हवा में मौजूद ऑक्सिजन हीमोग्लोबिन के साथ मिल जाती है। हीमोग्लोबिन की मदद से ही ऑक्सिजन फेफड़ों से होकर शरीर के अन्य हिस्सों तक जाती है। कार्बन मोनोऑक्साइड सूंघने से हीमोग्लोबिन मॉलिक्यूल ब्लॉक हो जाते हैं और शरीर का पूरा ऑक्सिजन ट्रांसपोर्ट सिस्टम प्रभावित हो जाता है। ऑक्सिजन न मिलने के कारण शरीर के सेल्स मरने लगते हैं।

समस्या के लक्षण :सिर दर्द, सांस लेने में दिक्कत, घबराहट, मितली आना, सोचने की क्षमता पर असर, हाथों और आंखों का कोऑर्डिनेशन गड़बड़ होना, पेट में तकलीफ व उलटी, हार्ट रेट बढ़ना, शरीर का तापमान कम होना, लो ब्लड प्रेशर, काडिर्एक एवं रेस्पिरेटरी फेलियर आदि।

कई लोग खाना बनाते समय रसोईघर के खिड़की-दरवाजे बंद रखकर भारी मुसीबत को खुद ही दावत दे देते हैं l
पिछले कुछ वर्षों में अमेरिका में ऐसे मामले लगातार बढ़े हैं, जिनमें लक्षण तो वायरल या फूड पॉइजनिंग के होते हैं लेकिन समस्या की वजह कार्बन मोनो-ऑक्साइड होती है। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में कार्बन मोनो-ऑक्साइड गंभीर जहरीले हादसों की सबसे बड़ी वजह है। वहां हर साल 15 हजार से भी ज्यादा लोग थकावट, मितली, सिर में तेज दर्द, घबराहट जैसी समस्याओं के शिकार होते हैं। इतना ही नहीं, इससे हर साल करीब ढाई हजार मौतें भी होती हैं। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली जैसे शहरों में इस तरह की समस्या आम है, क्योंकि ज्यादातर घरों में सही वेंटिलेशन का इंतजाम नहीं है। लोग पहले इस तरह की समस्या पर ध्यान नहीं देते और बाद में गंभीर बीमारी का शिकार हो जाते हैं।

एम्स के सीनियर मेडिसिन एक्सपर्ट डॉ. रंदीप गुलेरिया कहते हैं कि यह गैस गर्भवती महिलाओं, छोटे बच्चों, बुजुर्गों, स्मोकिंग करनेवालों और सांस की बीमारी से ग्रस्त लोगों को जल्दी प्रभावित करती है।
उपरोक्त बताई गई वेंटिलेशन व्यवस्था में कार्बन मोनो ऑक्साइड की मात्रा वायु में अधिक नहीं हो पाती और बचाव हो जाता हैl

एक अनुमान के अनुसार गैस के स्थान पर इलेक्ट्रिक हीटर प्रयोग किया जाता है तो वहां कार्बन मोनो ऑक्साइड की मात्रा 0.5 से 5 पीपीएम तक होती है l साफ़ गैस स्टोव हो तो यह 5 से 15 पीपीएम और सफाई ठीक से ना होने पर वहां की मात्रा 30 पीपीएम से भी अधिक हो जाती है जो ह्रदय के लिए घातक होती है क्योंकि हवा में मौजूद कार्बन मोनो ऑक्साइड सांस के जरिये फेफड़े में पहुंचती है और फेफड़े के जरिये रक्त में पहुँच जाती है l रक्त में मिलकर यह सीधे ह्रदय को प्रभावित करती है और ह्रदय रोग को जन्म देती है l

अग्नि संतुलन
शरीर के अन्दर और अपने घर में अग्नि तत्व के संतुलन से समाज में पहचान,मान-सम्मान में वृद्धि होती है l
इस तत्व के संतुलित होने से अच्छी नींद आती है। ये तत्व शक्ति, आत्मविश्वास और धन प्रदान करता है। सुरक्षा प्रदान करता है। इसमें किसी भी तरह का विकार आने से हमारा संतुलन बिगड़ने लगता है l अग्नि तत्व के संतुलित होने से आर्थिक सुरक्षा की भावना बनी रहती है।

Mangal Dosha And Its Reality

It is important to know some of the basic characteristics of the planet Mangal i.e. Mars prior to discuss Manglik Dosha. Mangal is red hot planet and known as commander among all the planets. Being a planet of tamsik and fiery nature, it signifies battle, energy, strength (physical) and power, Mars has command over blood and muscles of our body. Mars is also karaka (significator) for the younger brother, sexual strength and passion. As it is very aggressive and powerful it represents courage and confidence of the native.

Natives with stronger Mars are found to be more dynamic, energetic, courageous, and stronger that’s why they are found more in Army, Police or where muscle power is prominently needed. Out of 12 rasis, Mars is the Lord of Arise (Mesh) and Scorpio (Vrishchik), Fighter Mars gets exalted i.e. become very strong in enemy’s sign (Capricorn – Makar rasi, lordship of rigid Saturn) and becomes debilitated (very weak) in sweet and cool sign Cancer (Karka rasi, lordship of sweet Moon). Only A great fighter can have such kind of nature. Main deity of Mangal is Lord Hanuman ji, Mother Durga and Mother Baglamukhi. Ruling direction of Mangal is south. Mangal is regarded as son of mother earth that’s why its another name is Bhumi Putra.

What is Mangal Dosha

It is said that if Mangal i.e.Mars is located in houses 2nd, 12th, 4th, 7th, and 8th, house in the horoscope of a girl it will lead to the death of husband or if it is in the horoscope of a male it will kill his wife. The basis for this is following Sanskrit Sloka:

Dhanvayaye or patale jamitre or ashtame kuja:
Strinma bhartri vinashach bharatarunam strishanam

Which means if mars is in the 2nd, 12th, 4th, 7th, and 8th, houses in the horoscope of a female, the death of the husband will occur.
Similarly placed in husband’s horoscope leads to death of wife.” some scholars are of the opinion that 1st house should also be included because from here Mars aspects the 7th house.

These houses have to be judged from Lagna only. However, some scholars count from Moon also.

Why Only Selected Houses:

Mars in the 1st house: It makes a person very strong, dynamic, energetic, angry, passionate and aggressive. From this house it directly aspects 4th house of mental peace and 8th house of longevity of marriage (as it is 2nd from 7th, the house of marriage) and 7th house , which is the house of marriage so his/her nature will definitely be very dominating towards spouse, This is the first type of Manglik dosha.

Mars in the 2nd house. The 2nd house represents kutumba or family. From here it also aspects the eight and hence it is bad for longevity of marriage.

Mars in 4th house: Mangal is energetic planet, natives spend most of his/her energies in whichever house it is present. If it is in 4th house native spends most of his/her energies in home only, family atmosphere gets tensed and annoying, small conflicts and arguments would always be there, from here too Mars directly aspects 4th house , i.e. 7th house again his domination towards spouse would suffer married life.

Mars in 7th house: The 7th house deals in marriage, relationships and physical relationship, anger, aggressiveness. Mars forces native to spend his energy in passion or anger in married life. It also gives fear or chances of accidents to the spouse.

Phaladeepika says, person wanders on road and loses his wife if Mars is in the 7th house and
according to the Saravalli the subject’s wife dies, native will be unhappy and leads a sinful life.

Mars in the 8th house: Eight represents longevity of husband or wife. It is also a house of saubhagya and length of married life. Mars in the eight houses has been universally condemned in the astrological literature. It is supposed to give following results-
1) it is said to effect the longevity of the person or the spouse
2) Accidents, injuries to the person may happen.
3) One gets hindrances in all walks of life. It is said that well placed planets in Kendra’s and Trikonas are not able to give full effect because of the placement of the Mars in the eighth.

Mars in the 12th house: 12th house of chart deals in losses, secret enemies, secret desires and pleasure of bed. Here native may became very introvert, he/she may not be able to tell his/her desires, he may fulfill his/her desires secretly or he may become violent while enjoying pleasure. From this house too, Mars directly aspects the 7th house.

Therefore the placements of Mars in these houses are detrimental to the spouse and hence are known as Mangal dosha. This condition is believed to be devastating for marriage, causing discomfort and tension in relationship, leading to separation and divorce. It is believed to cause untimely death of one spouse. Some believe that one Manglik should only marry another Manglik, the idea being that two negatives cancel each other out, creating a positive. People also believe in “Poojas” that can be performed to allow Manglik and Non-Manglik to marry each other. There are also beliefs that astrological remedies (Upayas) can be used to resolve this Mangal Dosha.

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As there are 12 houses in a horoscope and Mars in 6 houses causes Mangal Dosha, it simply means that 50% of the people born haveMangal Dosha of some level. If you count houses from both lagna and from Moon, 50% would increase up to 75%. Hence it goes without saying that this Mangal Dosha is not something which will ruin a person. The prevalent misconceptions are that, if a person has a malefic mars it will either ruin the marriage or will cause one’s death or the death of the partner. Especially if a girl has Kuja or Mangal Dosha, called “Mangali”, she is looked upon as a devil by the in-laws. This is not always true.

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A proper and thoughtful consideration on Mangal Dosha can help avoid post-marital problems. Mars is a planet that represents fire. It causes a Mangal dosha in the chart because it tends to ignite the house in which it is placed and over which it has 100% aspect. Mars is a planet of valour and vigour and if occupies in the lagna, it makes the person brave and headstrong. Why should then these qualities work against a relationship? Mars alone would not decide the fate of the relationships. The placement of all the planets has to be studied as it modifies the impact of mars and gives a blended effect.

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Cancellation of Mangal Dosha

1. It is believed that if such a dosha is found in both the horoscopes of bride and bridegroom the dosha gets cancelled.
2. If one of them has Mars in lagan, the 2nd, 4th, 7th, 8th, or 12th, and the other Saturn, Rahu or ketu in any one of the above houses then too, the defect gets cancelled.
3. It is also believed that this dosha does not operate after 28 years of life.
4. When Mars is in its own sign (Aries, Scorpio), exalted (Capricorn) or in the houses owned by PLANETS SUPPOSED to be its friends (Sun, Jupiter, Moon) Mangal dosha gets cancelled.
5. If Mars is in the 2nd house but in Gemini, Virgo sign then the Mangal dosha gets cancelled
6. If Mars is in 12th house but in Taurus, Libra then the Mangal dosha gets cancelled.
7. If Mars is in 7th house but in Cancer, Capricorn then the Mangal dosha gets cancelled.
8. If Mars is in 8th house but in Sagittarius, Pisces no dosha exists.
9. For Cancer and Leo ascendant Mars is a yoga karaka (a beneficial influence) wherever it may be no dosha exists at all.
10. For Aquarius ascendant Mars in the 4th/8th house then the Mangal dosha gets cancelled.
11. If benefic Jupiter or Venus is in ascendant, no dosha exists.
12. If Mars is in conjunction or aspected by Jupiter or Moon no dosha exists.
13. If Mars is in conjunction/aspected by Sun, Mercury, Saturn, Rahu then the Mangal dosha does not exists.

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These and many more rules for cancellation should be studied carefully before stating the malefic effects of Mangal dosha. The matching of horoscopes and especially the extent of Mangal Dosha is the job of an experienced astrologer and must be done after carefully analyzing both the horoscopes.

Vastu in a Multistoried Apartment is EASY if…

It is rather difficult to construct a multi with a number of residential flats as it is not so simple to fix proper zones for kitchen, bathroom, w/c, bedroom etc. as per Vaastu principles. However if flats in a multi are constructed keeping following points under consideration or the already constructed flats are rearranged, then quite favourable results may be obtained:-

As far as possible, flats must be constructed in rectangular or square area that is each and every flat component must be a square or rectangular unit.

Each unit (flat) must have bathroom in the NE zone, leaving sharp corner for a small temple. Bathroom must be followed with a w/c towards East that is away from NE corner. W/c may be given to SW or NE zone also.

The kitchen should be towards SE sharp. It must never be towards NE. If it be there, then shifting becomes essential. Second preference of kitchen may be given towards NW.

Master bedroom should be towards SW of the unit. Other beds may be given toward NW/N or Eest.

Center of the flat (unit) should be free. It should be kept empty and clean.

The unit must have ventilators more towards East & North or towards NE zone.

Store room must be towards SW zone or it should be in the mid-West.

At least 200 to 500 kg weight should always be present in the sharp SW corner.

The main gate of the unit should open towards the interior of the room. It must not be of sliding nature.

Sharp SW corner should never be allotted to the gate of the unit.

The main gate of the campus of the complex must be towards any of the sharp direction i.e. North, South, East or West, or towards NE or NW but in no case it should be towards SW or SE.

The tube well or wells in the campus of the apartment building must be in NE, East or North.

Any kind of water storage zone should be towards NE (leaving sharp corner for the common temple of the complex) or towards East or North but it should not be towards SE zone.

The placement of the building should be done in such a way that more open space should be left towards East & North than West & South.

Plantation should be done in North & West and following plants should specially be planted in the campus in favourable directions:
a)    Ashok – towards North,
b)    Kanak Champa – towards North
c)    Ashapala – towards West
d)    Sambhaloo – Anywhere.

The overhead tank of the complex should be given in SW zone. If possible select SW sharp corner for it.

Drainage should be towards SW or NW. It could also be towards West or even towards SE away from the sharp SE corner.

The water streaming should be done from South to North or from West to East or towards both North & East.

South portion should be made somewhat elevated.

The electric mains & electrical switches should be given in SE corner of the rooms in the flats and towards SE zone or in the sharp SE corner of the complex. Second preference may be given to NW.

Parking for light vehicles may be given towards NE and parking for the heavy vehicles may be given towards West or mid-North.

Staircases to be given in South, West or SW but they should not be given towards NE.

It is better to enclose a central open to sky space and around that the structure should be constructed.

Remedies for anti-constructed flats
In a flat of a multi-storied building we cannot bring about any constructional change. Hence in such a case following simple remedies can be performed to overcome the defects:-

If the toilets be in unfavorable directions, keep sufficient amount of common salt crystals preserved in a plastic bucket in the toilet permanently. It will nullify the bad energy there.

If the ‘Brahma-sthan’ be under heavy load, shift the load towards south-west or west or even towards south.

If there be a wall covering ‘Brahma-sthal’ a part of the wall is removed from there to allow the flow of air from there. The space should be at least of  1’x6″, as shown below:-

Always keep a kg. of Alum crystals opened in the drawing room and the master-bedroom.

On every ‘Amavasya’, a small ‘Havan’ should be performed. In that ‘Havan’ a cowdung cake is burnt and then over that burning dung cake a mixture of the following should be burnt as ‘aahuti’

(i)    Sandal powder
(ii)    Kale Til (Black Sisamum)
(iii)    Jau
(iv)    Desi Camphor
(v)    Raal (gum of shorea robusta)
(vi)    Powder of Ashwagandha, and
(vii)    Pure (Desi) ghee.

Doing so regularly would cure the bad effects of Vaastu and residents of the flat may feel healthy, wealthy, peaceful and prosperous.

Navdurga-Nine Forms Of Goddess Durga

The description of Durga given by Sage Vyasa in his ‘Markandeya Purana’ is available in the form of ‘Durga Saptashati’. Durga is the symbol of the force which is the reflection of Power Supreme. Durga inspires humans into labour, work, endeavour, adventure and industry. The worship of this force give birth to ‘Shakti‘ sect in Hinduism. Durga concepts springs from the knowledge of Vedas and Upanishads. In a nutshell, for the destruction of evil forces and non-believers, God’s power took birth in the form of Durga. The most widely accepted account of the nine forms of Durga is the one found in the Devi Mahatmya– Sailaputri, Brahmacharini, Chandraghanta, Kushmanda, Skanda Mata, Katyayani, Kalaratri, Maha Gowri and Siddhidayini. The nine forms of Durga are worshipped during the nine days of Navratri.

1) Shailputri:

In this form Durga is two-armed and carries a trident and lotus. Her mount is an ox or bull. Shailputri means the daughter of the mountain, Himalaya. In this form we see the divine Mother holding a trident in her right hand and a lotus on her left. She is seen seated on an ox.
In her previous birth, she was called Sati, Bhavani and was the daughter of King Daksha. After a lot of penance, she married Lord Shiva. But her father King Daksha was not too happy. He had arranged for a Yagya/Yagna (Ritual done around the sacrificial fire) where he invited everyone except his son-in-law, Lord Shiva. Upset and feeling humiliated, Sati decided to attend the event uninvited. There, her father insulted Lord Shiva and in fury she stood on the sacrificial fire and burnt herself alive.
Lord Shiva enraged, ordered his followers to demolish the Yagya. Sati was reborn as the daughter of the king of the mountains, Himalaya in the name of Parvati – Hemvati and got married with Lord Shiva again. This form of her is worshipped on the first day of the Navratri celebrations.

2) Brahmacharini:

In this form Durga is two-armed and carries a rosary and sacred water pot (Kamandal). She is in a highly pious and peaceful form or is in meditation. This form of Durga is related to the severe penance undertaken by Sati and Parvati in their respective births to attain Lord Shiva as husband. Some of the most important Vratas observed in different parts of India by women is based on the strict austerities followed by Brahmacharini. She is also known as Tapasyacharini and is worshipped on the second day of Navrathri.

3) Chandraghanta:

Goddess Durga’s third form is known as Chandraghanta or Shakti. Chandra means moon and Ghanta is the bell. This name finds its explanation in the half-circular moon on the temple of the Goddess that resembles a bell. She is three eyed with ten hands. Each hand holds ten different weapons. She is seated on lion and is worshipped on the third day of the Navratri celebration. Her hue is golden and her appearance always spreads a calm and eternal peace all round. She is unprecedented image of bravery. The frightful sound of her bell terrifies all the evil and demon. Worship of this deity helps to eliminate the sorrow, hazards and dangers in ones life.

4) Kushmanda:

In this form Durga is eight-armed and rides on a tiger. She holds kamandalu, bow, arrow, lotus, pot containing wine, disc, rosary and a club. She is very happy in this form and it is believed that the eternal darkness ended when she smiled. And this led to the beginning of creation. Kushmanda form of Durga is worshipped on fourth day of Navratri.

5) Skanda Mata:

Lord Kartik/Kartikeyan/Karthikeyan is also known as Skanda. As Goddess Durga is his mother, she is referred to as Skanda Mata. She is a deity of fire with four arms. She holds her son Skanda with the top right hand and lotus in her lower hand. The top left hand is positioned in a blessing gesture or Abhaya Mudra. She is fair complexioned, seated on a lotus and so also referred to as Padmasana.

6) Katyayani:

Sage Katyaayan was the son of the great sage Kat. He observed rigorous penance and worship of Bhagavati Paramba with a desire to get Paramba as his daughter. His wish was granted. The daughter born was named Katyayani. She has four hands. The top right hand is positioned in a gesture of providing courage while the other hand is positioned in a gesture of rendering a boon. The top left hand holds a sword and the other a lotus. The goddess rides a lion and worshiped on the sixth day of the Durga puja.

7) Kalratri:

Ratri means night so her complexion is as dark as the night. She has long, unmated hair with her three eyes that are shiny and bright. She has four arms and is seen mounted on a Shav/Shava or dead body. Her right hand holds a sword, while her lower hand is in a blessing stance. The left hand holds a burning torch and the lower left hand is in fearless position. She is known as Shubhamkari or the auspicious one. Her form encourages her devotees to be fearless.

8 ) Maha Gauri:

It is said that when the body of Goddess Gauri got dirty due to dust and earth while she was observing penance to attain Lord Shiva. So he cleansed her with the holy waters of Ganges. Her body transformed into bright and luminous like lightening and so her eighth form is known as “Maha Gauri” .Her clothes and ornaments are also white. Her visage is calm and peaceful and she is three eyed. She rides on a bull. Her four hands denote different meanings, like the left hand is in the fearless gesture and the lower on holds a trident. The above right hand has tambourine and lower right hand is in blessing style.

9) Siddhidatri:

The ninth form is Siddhidatri. There are eight Siddhis (Special powers which can only be attained from severe penance and meditation)-Anima, Mahima, Garima, Laghima, Prapti, Prakamya, Iishitva & Vashitva. Maha Shakti gives all these Siddhies. It is mentioned in the Devi Puran” that Lord Shiva got all these Siddhis by worshipping Maha Shakti.
With her gratitude, Lord Shiva’s body also contains the Goddess and so he has the form and name of Ardha Narishvar. Ardha means half. The goddess rides on a lion. The Siddhidatri form is worshipped by all gods, rishis, munis (Saints and Sages), siddhas, yogis, sadhakas (Devotees) for attaining merit and boons of their severe penances.

Yogas in Muhurtha

There are 5 elements of a Panchanga (pancha- 5, anga- organ/ elements), they are namely.

1. Vara      : Weekday
2. Tithi     : Lunar day
3. Karana    : Half of a lunar day
4. Nakshatra : Lunar asterism
5. Yoga      : Sun, Moon combination

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SHUBHA YOGA
(Auspicious Combination)
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1. Siddha Yoga:

This is formed due to the combination of the Tithi and vara

There are 5 categories of Tithis:
Nanda  : Pratipad,  Shasthi, Ekadasi
Bhadra : Dvitiya,   Saptami, Dvadasi
Jaya   : Tritiya,   Astami,  Trayodasi
Rikta  : Chaturthi, Navami,  Chaturdasi
Purna  : Panchami,  Dasami,  Purnima, Amavasya

The 5 categories of Tithis are governed by 5 elements of nature which are given below. When a tithi falls on a weekday (Vara) governed by the same element as that of the tithi a very auspicious time is formed which goes by the name of Siddha Yoga.

Following combination of Tithis and the Varas constitute the siddha yoga:

Nanda  : Friday    :Venus   : Jala    Tattva
Bhadra : Wednesday :Mercury : Prithvi Tattva
Jaya   : Tuesday   :Mars    : Agni    Tattva
Rikta  : Saturday  :Saturn  : Vayu    Tattva
Purna  : Thursday  :Jupiter : Akash   Tattva

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2. Sarvartha Siddha Yoga

Certain combination of Nakshatras and Weekdays go by the name of Sarvartha Siddhi yoga. Activities done during this yoga usually concludes with Positive results.

Monday    : Sravana, Rohini      , Mrigashiras, Pushya    , Anuradha
Tuesday   : Aswini , U.Bhadrapada, Krittika   , Ashlesha
Wednesday : Rohini , Anurada     , Hasta      , Krttika   , Mrgashiras
Thursday  : Revati , Anuradha    , Aswini     , Punarvasu , Pusya
Friday    : Revati , Anuradha    , Aswini     , Punarvasu , Sravana
Saturday  : Sravana, Rohini      , Swati
Sunday    : Hasta  , Mula        , U.Ashadha  , U.Phalguni, U.Bhadra, Aswini, Pushya

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Amrita Siddhi Yoga:
This yoga is formed due to combination of Vara and Nakshatra

Sunday  : Hasta
Monday  : Mrgashiras
Tuesday : Aswini
Mercury : Anuradha
Thursday: Pusya
Friday  : Revati
Saturday: Rohini

Though this is a auspicious combination, following events should be avoided:

Thursday- Pushya: Marriage
Tuesday – Aswini: Grha Pravesha
Saturday- Rohini: Travel

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Dvipushkar Yoga:

Following combination of Tithi, Vara and Nakshatra is called Dvipushkar Yoga:

Dvitiya  , Saptami, Dvadasi
Sunday   , Tuesday, Saturday
Dhanistha, Chitra , Mrgashiras

The events repeat again at least once if they happen in this yoga. Hence good events should happen in this yoga such as purchase of property etc. and unfortunate events such as diseases and death should not happen.

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Tripushkar Yoga:

Following combination of Tithi, Vara and Nakshatra is called Tripushkar Yoga:

Sunday,   Tuesday,   Saturday
Dvitiya,  Saptami,   Dvadasi
Krittika, Punarvasu, Uttaraphagulni, Vishaka, Uttarashadha, Uttarabhadrapada

The events repeat again at least twice if they happen in this yoga. Hence good events should happen in this yoga such as purchase of property etc. and unfortunate events such as diseases and death should not happen.

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ASHUBHA YOGA:
(Inauspicious combinations)
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Mrtyu Yoga:
This yoga is formed due to combination of Vara and Tithi

Tuesday   , Sunday :: Pratipad , Shasthi, Ekadasi
Monday    , Friday :: Saptami  , Dvadasi
Wednesday          :: Tritiya  , Ashtami, Trayodasi
Thursday           :: Chaturthi, Navami , Chaturdasi
Saturday           :: Panchami , Dasami , Purnima

Adham Yoga:
This yoga is also formed due to combination of Vara and Tithi

Sunday   : Saptami, Dvadasi
Monday   : Ekadasi
Tuesday  : Dasami
Wednesday: Pratipad, Navami
Thursday : Ashtami
Friday   : Saptami
Saturday : Shasti

Dagdha Yoga:
This yoga is formed due to combination of Vara and Nakshatra

Sunday   : Bharani
Monday   : Chitra
Tuesday  : Uttarashadha
Wednesday: Dhanishtha
Thursday : Uttaraphalguni
Friday   : Jyestha
Saturday : Revati

Yamaghata Yoga:
This yoga is also formed due to combination of Vara and Nakshatra

Sunday   : Magha
Monday   : Vishakha
Tuesday  : Ardra
Wednesday: Moola
Thursday : Krittika
Friday   : Rohini
Saturday : Hasta

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